अंतर्मन के भीतर चल रहे अनेक ख्यालों का एक कविता के रूप में वर्णन... अंतर्मन के भीतर चल रहे अनेक ख्यालों का एक कविता के रूप में वर्णन...
आओ चलें साथ, अभी दूर जाना है। आओ चलें साथ, अभी दूर जाना है।
बर्बाद तो तुम भी हो, बर्बाद मै भी हूं चलो, क्यों ना अच्छे से बर्बाद हुआ जाए। बर्बाद तो तुम भी हो, बर्बाद मै भी हूं चलो, क्यों ना अच्छे से बर्बाद हुआ जाए।
शिव अर्पण शिव अर्पण
योग भोग छोड़कर ही तभी मुक्ति पाओगे ! जीवन सफल बनाओगे...! योग भोग छोड़कर ही तभी मुक्ति पाओगे ! जीवन सफल बनाओगे...!
स्पंदन श्वाँसों का तुम ही मेरे जीवन की प्रत्याशा हो। रसिया छलिया लिलहारी सखा तुम ग्वालिन गोप की आशा... स्पंदन श्वाँसों का तुम ही मेरे जीवन की प्रत्याशा हो। रसिया छलिया लिलहारी सखा तु...